विश्व पशु जन्य रोग दिवस का आयोजन
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मंडी, 6 जुलाई । विश्व पशु जन्य रोग दिवस का आयोजन आज क्षेत्रीय अस्पताल मंडी के सभागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० देवेन्द्र शर्मा ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ० धर्म सिंह वर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० दिनेश ठाकुर,जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ० अरिंदम रॉय तथा पशुपालन विभाग के डॉ० दीप कुमार ठाकुर, वन विभाग के अधिकारी, आशा कार्यकर्ता, नर्सिग प्रशिक्षु तथा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने भाग लिया ।
इस अवसर पर डॉ० देवेन्द्र शर्मा ने बताया कि मनुष्य का जीवन पशुओं के बिना सम्भव नहीं है, परन्तु दोनों एक दूसरे के सम्पर्क में रहने से मनुष्य में रोग के कीटाणु फैलने से एक विलियन मामले सामने आते हैं और लाखों मौतें होती है। मौजूदा सभी बीमारियों में 60 प्रतिशत नई बीमारिया सिर्फ पशुओं से आती है। जुनोसिस के रोगजनक बेक्टीरिया, वायरस या परिजिवी हो सकते हैं, जो या तो सीधे या भोजन से, हवा के माध्यम से या मनुष्य से मनुष्य में, मनुष्य से जानवर में तथा जानवरों से मनुष्य में उनके दूध, मांस, कपड़े, परिवहन या देखभाल या जंगली जानवरों द्वारा पालतु जानवरों के माध्यम से फैल सकता हैं । उन्होंने बताया कि दुनिया में 150 से भी ज्यादा रोग पशु जन्य रोग हैं जिसमें कोरोना, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईवोला, निपाह, गलघोंटू, खून व् पेशाव द्वारा फैलाने वाले रोग, जुएँ तथा पिस्सू से होने वाले रोग तथा रेबीज रोग शामिल हैं ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ० अरिंदम रॉय ने बताया कि इस दिवस को मनाने का उदेश्य लोगों को जानवरों से मनुष्य में होने वाली बीमारियों से बचाने तथा उनका उपचार करवाने हेतु सरकार द्वारा चलाये हुए निशुल्क योजनाओं के बारे जागरूक करना है। उन्होंने वताया की अकेले कुते के काटने से करीव 50 हजार मोतों में से 20 हजार मामले अकेले भारत वर्ष में होते है और सबसे ज्यादा 70 लाख लोग कुते के काटने का शिकार होते है । इस लिए इस दिवस को पूरे जिले के स्वास्थ्य खण्डों में लोगों को जागरूकता शिविरों का आयोजन करके जागरूक किया जा रहा है ।
पशु चिकित्सा विभाग के डॉ० दीप कुमार ठाकुर ने महत्वपूर्ण जानकारी दते हुए वताया कि अपने पालतू या पेंट्स का विशेष ध्यान रखें, उन्हें संतुलित आहार, साफ आवास, साफ पानी और उनके टहलने के लिए उपयुक्त स्थान का प्रावधान रखें तथा समय- समय पर टीकाकरण करवाएं। पशुजन्य रोग के प्रसार को रोकने के लिए घरेलू व् पालतू जानवरों के दूध को उवाल कर पियें तथा मांसाहारी पशुओं के मांस को अच्छी तरह पकाकर ही खाएं और पशुओं के सम्पर्क में आने के बाद अपने हाथ साबुन और पानी से धोएं। यदि पशु व् इन्सानों में कोई बीमारी के लक्ष्ण पनपने लगे तो तुरंत अस्पताल में जाँच करवाएं ।