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स्तनपान करवाने से बच्चे की शारीरिक वृद्धि, मानसिक विकास व रोगों से सुरक्षा होती है

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बिलासपुर 16 जून – मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डाॅ0 प्रकाश दरोच ने जानकारी देते हुए बताया कि महिला गर्भावस्था के दौरान जितनी जल्दी हो सके उप स्वास्थ्य केन्द्र में पंजीकरण करवाएं। उन्होंने बताया कि पंजीकरण करवाने के उपरांत गर्भवती महिला को स्वास्थ्य से सम्बन्धित पूर्ण जानकारी तथा स्वास्थ्य सहायता जिसमें आईरन की गोलियां, कैल्सियम की गोलियां, टीकाकरण व समय-समय पर गर्भावस्था चैक-अप आदि की सुविधाएं प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला को संस्थान में प्रसव करवाने के बारे में बताया जाता है ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ व सुरक्षित रहें।

उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं को आशा, ए0एन0एम व डाॅक्टर के द्वारा स्तनपान करवाने के बारे में भी जानकारी दी जाती हैं। उन्हें सलाह दी जाती है कि जन्म के एक घंटे के अन्दर-अन्दर स्तन पान की शुरूआत करें, हरेक बच्चे का पहले गाढ़े पीले रोग रोधक दूध पर अधिकार है। बच्चे को छः महीने तक केवल मात्र स्तनपान ही करवाएं, पानी व घुटी न दें। सातवें महीने से स्तनपान के साथ अर्ध ठोस आहार जरूर शुरू करें पूरक पोषाहार के साथ दो साल तक स्तनपान जरूरी है। उन्होंने बताया कि स्तनपान से बच्चे की शारीरिक वृद्धि, मानसिक विकास व रोगों से सुरक्षा होती है। स्तनपान करवाने वाली मां को दिन में तीन बार भोजन के साथ-साथ दो बार अतिरिक्त भोजन या नाश्ता आदि लेना चाहिएं। स्तनपान करवाने से मां के स्तनों व गर्भाशय के कैंसर से सुरक्षा व अगली संतान ठहरने से रक्षा होती है। स्तनपान करवाने से मां व बच्चें में प्यार बढता है। मां का दूध बच्चे के लिए सही तापमान पर मिलता है उसे गर्म करने की जरुरत नहीं होती। उन्होने बताया कि प्रसव के एक घंटे के अन्दर-अन्दर स्तनपान करवाने से मां की औल निकलने में मदद मिलती है व अनावश्यक रक्त स्राव को भी रोकता है। उन्होंने बताया कि स्तनपान एक गर्भनिरोध का कार्य भी करता है। स्तनपान से बच्चों को खसरा, निमोनिया व दस्त आदि रोग नहीं होते क्योंकि स्तनपान से बच्चों में बीमारियों से लडने की ताकत (इम्यूनिटी) मजबूत होती है।

 

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