विश्व फार्मेसी दिवस पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में रक्तदान शिविर आयोजित
1 min readशिमला, सितंबर 25
एपीजी शिमला विश्वविद्यालय परिसर में स्कूल ऑफ फार्मेसी और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला की ब्लड बैंक के संयुक्त तत्त्वाधान में विश्व फार्मेसी दिवस के उपलक्ष्य पर विश्वविद्यालय में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। रक्तदान शिविर का सुभारम्भ एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व चेयरमैन प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने किया, जबकि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत और प्रो-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार पाल, डीन अकैडमिक प्रो. डॉ. आनंदमोहन शर्मा भी रक्तदान शिविर में पहुंचकर रक्तदानियों से भेंटकर उनका इस महादान के लिए आभार जताया। विश्वविद्यालय चेयरमैन प्रो. आर.के. चौधरी ने स्वयं रक्तदान कर रक्तदान महादान का संदेश दिया।
यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक चला और इसमें एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इछुक छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने रक्तदान करने में भाग लिया और बालिका छात्राओं ने भी रक्तदान में जागरूकता दिखाई। रक्तदान शिविर में इन्दिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से डॉक्टर विपाशा व्यास, स्टाफ नर्स व सिस्टर निशिता और उनके सहयोगी कमलजीत और मेडराम ने सफलतापूर्वक रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं से रक्तदान करवाने में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया। इस रक्तदान शिविर में डॉक्टरों की टीम ने रक्तदाताओं के रक्त-ग्रुप की जाँच कर रक्तदान करवाया। रक्तदान शिविर में 41 यूनिट रक्त इक्ट्ठा किया गया। डॉक्टरों बताया कि स्वस्थ लोगों द्वारा रक्त दान करने से दिल की सेहत में सुधार, दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम माना जाता है। खून में आयरन की ज्यादा मात्रा दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। नियमित रूप से रक्तदान करने से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है। जो दिल की सेहत के लिए अच्छी है।
विश्वविद्यालय के चेयरमैन प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने बताया कि कई बार मरीजों के शरीर में खून की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि उन्हें किसी और व्यक्ति से ब्लड लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसी ही इमरजेंसी स्थिति में खून की आपूर्ति के लिए लोगों को रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए। इससे जरुरत मंद की मदद हो सकेगी। प्रो. चौधरी ने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई महादान नहीं हैं क्योंकि यह जरूरमंद व खून की कमी से जुझरहे लोगों की जान बचाने में मदद करता है और यही मानवधर्म भी है।प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने स्कूल ऑफ फार्मेसी के रक्तदान शिविर आयोजित करने के प्रयासों की सराहना करते हुए विश्व फार्मेसी दिवस की सुभकामनाएँ भी दीं और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की डॉक्टरों की टीम को उनके योगदान के लिए धन्यवाद किया।
प्रो. चौधरी ने कहा कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय प्रशासन नियमित रूप से मानव सेवा के लिए अपने छात्रों, कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों के चिकित्सा लाभ के लिए निःशुल्क मेडिकल शिविर आयोजित करता आ रहा है और पहले भी कई रक्तदान शिविर और कोविड काल के दौरान टीकाकरण अभियान आयोजित कर चुका है।
यह कार्यक्रम सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक चला और इसमें एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इछुक छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने रक्तदान करने में भाग लिया और बालिका छात्राओं ने भी रक्तदान में जागरूकता दिखाई। रक्तदान शिविर में इन्दिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से डॉक्टर विपाशा व्यास, स्टाफ नर्स व सिस्टर निशिता और उनके सहयोगी कमलजीत और मेडराम ने सफलतापूर्वक रक्तदान शिविर में रक्तदाताओं से रक्तदान करवाने में अपना बहुमूल्य सहयोग दिया। इस रक्तदान शिविर में डॉक्टरों की टीम ने रक्तदाताओं के रक्त-ग्रुप की जाँच कर रक्तदान करवाया। रक्तदान शिविर में 41 यूनिट रक्त इक्ट्ठा किया गया। डॉक्टरों बताया कि स्वस्थ लोगों द्वारा रक्त दान करने से दिल की सेहत में सुधार, दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे को कम माना जाता है। खून में आयरन की ज्यादा मात्रा दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। नियमित रूप से रक्तदान करने से आयरन की अतिरिक्त मात्रा नियंत्रित हो जाती है। जो दिल की सेहत के लिए अच्छी है।
विश्वविद्यालय के चेयरमैन प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने बताया कि कई बार मरीजों के शरीर में खून की मात्रा इतनी कम हो जाती है कि उन्हें किसी और व्यक्ति से ब्लड लेने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसी ही इमरजेंसी स्थिति में खून की आपूर्ति के लिए लोगों को रक्तदान करने के लिए आगे आना चाहिए। इससे जरुरत मंद की मदद हो सकेगी। प्रो. चौधरी ने कहा कि रक्तदान से बड़ा कोई महादान नहीं हैं क्योंकि यह जरूरमंद व खून की कमी से जुझरहे लोगों की जान बचाने में मदद करता है और यही मानवधर्म भी है।प्रो. डॉ. आर.के. चौधरी ने स्कूल ऑफ फार्मेसी के रक्तदान शिविर आयोजित करने के प्रयासों की सराहना करते हुए विश्व फार्मेसी दिवस की सुभकामनाएँ भी दीं और इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की डॉक्टरों की टीम को उनके योगदान के लिए धन्यवाद किया।
प्रो. चौधरी ने कहा कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय प्रशासन नियमित रूप से मानव सेवा के लिए अपने छात्रों, कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों के चिकित्सा लाभ के लिए निःशुल्क मेडिकल शिविर आयोजित करता आ रहा है और पहले भी कई रक्तदान शिविर और कोविड काल के दौरान टीकाकरण अभियान आयोजित कर चुका है।