जल जनित बीमारियों के कारणों व बचाव तथा उपचार के प्रति जागरूक रहें
1 min readबिलासपुर 21 मई – मुख्य चिकित्सा अधिकारी बिलासपुर डॉक्टर प्रकाश चंद दडोच ने बताया कि समुदाय को कोविड-19 के बचाव के साथ-साथ अन्य जल जनित बीमारियों के स्वास्थय पर पडने वाले दुष्प्रभावो के बारे में भी जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्हांेने बताया कि विश्व की 80 प्रतिशत से अधिक बीमारियां दूषित जल से होने वाले रोगों के कारण होती हैं, जिनमें डायरिया प्रमुख है। उन्होंने बताया कि भारतवर्ष में हर साल लगभग 2 लाख बच्चे दस्त रोग के कारण मर जाते हैं।
उन्होंने बताया कि जिला के सभी स्वस्थ्य संस्थानों में ओ आर एस, जिंक की गोलियां तथा पानी को शुद्व करने के लिए क्लोरीन की गोलियां तथा लोगों जागरुकता हेतु पर्याप्त मात्रा में प्रचार- प्रसार सामग्री इत्यादि सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध करवा दी गई हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि नल के पानी का ही प्रयोग करें, बाबडियों, कुओं व अन्य किसी भी जल स्रोत का पानी पीेने के लिए प्रयोग न करें क्योंकि आजकल बरसात के मौसम में बरसात का गंदा पानी इन स्रोतों में मिल जाता है जिसकी बजह से लोग दस्त, उल्टियां आदि जल जनित रोगों से ग्रसित हो जाते हैं यदि इन जल स्रातों का पानी किसी कारण वश पीना ही पडे तो पानी को 20 मिनट तक उवालकर पीएंे या उसमें क्लोरिन की गोली डालकर ही पानी प्रयोग में लाएं। उन्होंने आग्रह किया कि यदि कहीं भी किसी क्षेत्र में दस्त व उल्टियों से ग्रसित ज्यादा लोग ग्रसित हो जाते है तो घवराएं नहीं इसकी सूचना हमारी आशा व नजदीक के स्वास्थ्य कार्यकर्ता को तुरन्त दें।
उन्होंने बताया कि जल प्राकृतिक रूप से स्वच्छ होता, लेकिन जल के प्रदूषित होने के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे हैजा, टाइफाइड, पेचिश, पीलिया, आंत्रशोथ दस्त रोग उल्टी, कृमि रोग पोलियो तथा जल भराव के कारण मच्छर पैदा होने से मलेरिया तथा डेंगू इत्यादि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मियों तथा बरसात के मौसम में विशेष कर दस्त रोग शिशुओ और बच्चों तथा आम लोगों में हो जाता है जिसका अगर समय पर उसका उपचार न किया गया तो निर्जलीकरण से मौत भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि जल स्रोतों को गंदा न करें, उनमें स्नान न करें न ही कपड़े धोए, पेयजल स्रोतों के चारों ओर कंक्रीट की दीवार लगानी चाहिए ताकि वर्षा का पानी उसमें न जाए, शौच खुले में न जाएं, शौच जाने के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें, पीने के लिए क्लोरीन युक्त नल के जल या हैण्ड पम्प के पानी का ही उपयोग करें आवश्यकता पडने पर बावरियों और कुएं के पानी को उबाल कर ही पीएं, या 15 से 20 लीटर जल मे 1 गोली क्लोरीन की अवश्य पीस कर डालें या 1000 लीटर पानी, 2.5 ग्राम वलिचिग पाउडर डालें, उसके कम से कम आधे घण्टे पश्चात ही पानी उपयोग में लाएं। पानी को साफ बर्तन में ढक कर रखें। बर्तन से पानी निकालने के लिए हमेशा हैंडल वाले गिलास का उपयोग करें।
उन्होंने बताया कि साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, खाने पीने की चीजों को ढक कर रखें, खाना खाने से पहले तथा शौच जाने के पश्चात साबुन व पानी से हाथ अच्छी तरह से धोएं। दस्त रोग के कारण प्राय शरीर में पानी की कमी हो जाती है। दस्त होने पर आर एस का घोल पिलाएं। उन्होंने बताया कि 0 से 5 वर्ष के बच्चों को ओ.आर.एस. के घोल का पैकेट मुफ्त दिया जाता है तथा दस्त रोग से पीडित बच्चों का ओ आर एस व जिंक की गोलियों से उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर दस्त के साथ खून आए या दस्त ठीक न हो तो तुरंत चिकित्सक की सलाह ले। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इन बीमारियों के कारणों व बचाव तथा उपचार के प्रति जागरूक रहें।