सरस्वती विद्या मन्दिरों से एमबीबीएस में चयनित 16 पूर्व छात्रों व अभिभावकों को किया सम्मानित
1 min readहिमाचल शिक्षा समिति द्वारा एमबीबीएस वर्ष 2020 में चयन हुए सरस्वती विद्या मन्दिरों के पूर्व छात्रों के लिए सरस्वती विद्यामन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हिम रश्मि परिसर विकासनगर, शिमला में चल रही 3 दिवसीय योजना बैठक में सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा विभिन्न सरस्वती विद्या मन्दिरों से एमबीबीएस में चयनित 16 पूर्व छात्रों व अभिभावकों को सम्मानित किया। इनमें स.वि.म. हिम रश्मि परिसर केे श्रुति और आशीष, स.वि.म. मलोखर जिला बिलासपुर के अमन महाजन, स.वि.म. कुंगश जिला कुल्लू के राकेश ठाकुर और सुरेन्द्र, स.वि.म. घुमारवीं जिला बिलासपुर केे प्रिया वर्मा, स.वि.म. निहाल सेक्टर बिलासपुर के अंशिका और दीपाली, स.वि.म. कोटखाई जिला शिमला के प्रज्जवल मोघटा, स.वि.म. नित्थर जिला कुल्लू के सचिन ठाकुर, स.वि.म. पांगणा जिला मंडी के अरुण ठाकुर, स.वि.म. अर्की जिला सोलन केे सौरभ गुप्ता और ईशा शर्मा, स.वि.म. सुन्नी जिला शिमला केे विकास अत्री, स.वि.म. रौडा बिलासपुर के मधु ठाकुर और स.वि.म. दाडलाघाट जिला सोलन के मुनीष कुमार को कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल द्वारा सम्मानित किया गया।
डाॅ. राजीव सैजल द्वारा हिमाचल शिक्षा समिति का काफी टेबल बुक का भी विमोचन किया जिसमें हिमाचल शिक्षा समिति की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी गई है। इसके अतिरिक्त जनजातीय क्षेत्रों में चलने वाले सरस्वती विद्या मन्दिरों के आचार्यों के लिए दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा दी गई सोलर लाईटों का भी वितरण किया। प्रदेश में लगभग 22 लाख रू. मूल्यों की 1000 सोलर लाईटों का निःशुल्क वितरण किया जाएगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने हिमाचल शिक्षा समिति को बधाई देते हुए कहा कि समिति द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मन्दिरों की इतनी संख्या में छात्रों का एम.बी.बी.एस के लिए चयन होना इस बात को दर्शाता है कि विद्यालयों में शिक्षा स्तर और शिक्षा की गुणवता श्रेष्ठ स्तर की है। उन्होंने विश्व संत शिरोमणी रविदास जी की जयंती पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ईश्वर कण-कण में विराजमान है। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो प्रत्येक व्यक्ति को सोचने पर विवश कर दे कि मैं क्या दे सकता हूं? त्याग की कोई सीमा नहीं होती। जीवन के प्रति सजगता, ईश्वर का साक्षात्कार करना ही मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। अपने हृदय में उसकी अनुभूति करना तथा दूसरों में भी ईश्वर के दर्शन करना यही अध्यात्म भाव है। आज व्यक्ति स्वकेन्द्रित हो गये हैं। मेरा भला, मेरा हित कैसे हो सकता है इसी सोच में लगा रहता है। समाज द्वारा उसे महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया जाता है, तो समाज के प्रति जो हमारा ऋण है, उस ऋण को चुकाने की दिशा में व्यक्ति को कार्य करना चाहिए। व्यक्ति को समाज हित के लिए अपने हित का त्याग करना चाहिए। त्याग का अर्थ है छोड़ देना व स्वयं न रखकर किसी और को देना। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सरकार तत्पर है और इसके लिए विभिन्न स्तरों पर समितियों का गठन किया गया है।
सम्मान कार्यक्रम के मुख्यवक्ता विद्या भारती उत्तरक्षेत्र के महामंत्री देशराज शर्मा ने कहा कि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान किसी भी प्रकार की सरकारी आर्थिक सहायता प्राप्त किए बिना देश भर में औपचारिक विद्या मंदिरों के माध्यम से भारत केंद्रित, संस्कारयुक्त, समायोजित शिक्षा देने वाला विश्व का सबसे बड़ा शैक्षिक संगठन है। इसमें एक लाख से अधिक शिक्षक आचार्य बंधु-बहनें छात्रों का भविष्य निर्माण कर रहे हैं।
समाज के वंचित वर्ग के प्रति भी अपने उत्तरदायित्व को स्वीकार करते हुए देश के ग्रामीण, जनजातीय तथा सेवा क्षेत्रों में चल रहे अनौपचारिक शिक्षा केंद्रों के माध्यम से यह संस्थान देश की अगली पीढ़ी के निर्माण में साल 1952 से निरंतर प्रयासरत है। 29 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मन की बात कार्यक्रम में देश के युवाओं को संबोधित करते हुए किसी भी शैक्षणिक संस्थान से पढ़कर निकले पूर्व छात्रों का उस संस्थान से जुड़ाव को रेखांकित किया था। उसी दिन विश्व के सबसे बड़े शैक्षणिक संगठन विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के लिए एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करने का भी दिन बन गया। विश्व भर में सर्वाधिक पंजीकृत सदस्य संख्या वाले पूर्व छात्र संगठन के रूप में विद्या भारती पूर्व परिषद के सदस्यों की संख्या 4.50 लाख का आंकड़ा पार कर गई। उन्होंने कहा कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात कई शिक्षा आयोग बनें, शिक्षा के लिए नीतियां बनी परन्तु उन नीतियों का ठीक प्रकार से लागू नहीं किया गया। शिक्षा नीति 2020 को विद्या भारती द्वारा संचालित विद्यालयों में पूर्णतया लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तपस्या और साधना के बल पर विद्या भारती अपना कार्य कर रही है।