Himachal Tonite

Go Beyond News

शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई, ओपन स्कूल के नियमों में दिव्यांगों के साथ मनमानी

1 min read

उमंग फाउंडेशन हाईकोर्ट में दस्तक देगा

शिमला। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और स्टेट एवं नेशनल ओपेन स्कूल के दिव्यांग विरोधी नियमों को उमंग फाउंडेशन हाईकोर्ट में चुनौती देगा। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की विकलांगता नीति पर अमल शुरू कर दिया गया है।

राज्य विकलांगता सलाहकार बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्य, उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो. अजय श्रीवास्तव ने यह जानकारी उमंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक वेबीनार में दी।

कार्यक्रम की संयोजक एवं हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से बॉटनी में पीएचडी कर रही दिव्यांग छात्रा (जेआरएफ) अंजना ठाकुर के अनुसार “हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड और सीबीएस की दिव्यांगता नीतियों में दिव्यांग विद्यार्थियों के अधिकार” विषय पर वेबीनार में विशेषज्ञ वक्ता प्रो. अजय श्रीवास्तव थे।

उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी द्वारा  उनकी प्रार्थना का संज्ञान लिए जाने के बाद प्रदेश शिक्षा बोर्ड को दिव्यांगों के बारे में अपने 4 फरवरी 2022 के नियमों में सुधार करना पड़ा था। लेकिन अभी भी शिक्षा बोर्ड के कई नियम विकलांगजन अधिकार कानून 2016 का उल्लंघन कर रहे हैं।

प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश शिक्षा बोर्ड के नियमों के अनुसार शारीरिक दिव्यांगता वाले विद्यार्थी विज्ञान विषय नहीं पढ़ सकते। यह दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ भेदभाव है जो कानूनन गलत है। इसके अलावा भी कई अन्य नियम कानून का उल्लंघन करते हैं। दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को कंप्यूटर या ब्रेल में परीक्षा देने का अधिकार भी बोर्ड ने सिर्फ कागजों पर दिया है।

उन्होंने बताया कि सीबीएसई के 12 अप्रैल 2019 के नियमों में भी विसंगतियां हैं। इनमें दृष्टिबाधित एवं शारीरिक दिव्यांगता के कारण लिखने में असमर्थ परीक्षार्थियों को हिमाचल में राइटर की सुविधा आमतौर पर स्कूल नहीं देते हैं। विद्यार्थियों को खुद राइटर ढूंढ कर लाना होता है तो कानून का उल्लंघन करके स्कूल उन्हें कम से कम एक क्लास जूनियर राईटर लाने के लिए बाध्य करता है। दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को कंप्यूटर पर परीक्षा देने का नियम भी लागू नहीं किया जा रहा है।

इसी तरह स्टेट और नेशनल ओपन स्कूल के नियम भी पूरी तरह विकलांगता-कानून के अनुरूप नहीं है। इनमें कहा गया है कि दृष्टिबाधित एवं लिखने में असमर्थ परीक्षार्थियों के लिए राइटर किसी भी उम्र का छात्र होना चाहिए और वह परीक्षार्थी का रिश्तेदार न हो। ओपन स्कूल हिमाचल में परीक्षार्थियों के लिए राइटर का प्रबंध नहीं करता है। यदि परीक्षा केंद्र राइटर का प्रबंध कर देता है तो नियमों के अनुरूप उसे कोई मानदेय नहीं देता है।

कार्यक्रम के संचालन में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र के पीएचडी स्कॉलर अभिषेक भागड़ा और मनोविज्ञान की छात्रा दीक्षा वशिष्ठ के अलावा उदय वर्मा ने सहयोग दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *