हर्षोल्लास के साथ मनाया गया राजभाषा वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह
1 min read30 मार्च, 2022
शिमला- भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (एडवांस्ड स्टडी) में आज राजभाषा हिन्दी का वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। समारोह में संस्थान के सभी अध्येता, सह-अध्येता, अधिकारी तथा कर्मचारी उपस्थित थे। समारोह में सितंबर 2021 के दौरान आयोजित हिन्दी की विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं तथा प्रतिभागियों को प्रशस्ति-पत्र व पुरस्कार प्रदान किए। साथ ही सरकारी कामकाज में मूल टिप्पण/आलेखन हिन्दी में करने वाले 10 अधिकारियों/कर्मचारियों को भारत सरकार राजभाषा विभाग की नीति के अंतर्गत प्रशस्ति-पत्र तथा प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर गुप्त ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा मुख्य द्वार और अंग्रेजी खिड़की की तरह है, इसलिए खिड़की को मुख्य द्वार की जगह नहीं दी जानी चाहिए। हिंदी हमारी मातृ और राष्ट्र भाषा है, इसलिए इसका प्रयोग हमें अकुंठ भाव से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्थान में हिंदी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है और यह हमारी नयी शिक्षा नीति के अनुरूप है। हमारी शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाने का संकल्प व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने संस्थान के अधिकारियों तथा कर्मचारियों से अधिक से अधिक सरकारी कामकाज हिन्दी में करने की अपील भी की।
समारोह में बोलते हुए संस्थान में राष्ट्रीय अध्येता प्रो. शंकर शरण ने हिंदी के व्यापक व्यवहार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भाषा अपने प्रयोग से समृद्ध होती है। अध्येता प्रो. आलोक कुमार गुप्ता ने संस्थान में हिंदी में होने वाले कार्य के सराहना की। उन्होंने कहा कि हमें दिशा में निरंतर कोशिश करनी चाहिए। संस्थान के पूर्व अध्येता व चेतना पत्रिका के संपादक प्रोफेसर माधव हाड़ा ने कहा कि हिंदी अब देश की संपर्क भाषा हो गयी है और इसके लि चिंतित होने जरूरत नहीं है। सह-अध्येता डॉ. गौरी त्रिपाठी ने राजभाषा के व्यावहारिक पक्ष पर अपने विचार प्रस्तुत किए जबकि डॉ. ब्रजरतन जोशी ने अपनी कविता का पाठ किया।
इस अवसर पर हिन्दी की अर्द्धवार्षिक पत्रिका ’चेतना‘ तथा अध्येताओं की शोध परियोजनाओं पर आधारित प्रोफसर महेन्द्र प्रताप सिंह कृत ’फेडरलिज़्म इन इण्डिया’; प्रोफेसर एस.के. चहल कृत ’हिंदू सोशल रिफॉर्म (द फ्रेमवर्क ऑफ जोतिराव फुले); प्रोफेसर पवित्रन नांबियार कृत ’कल्चर करप्शन एण्ड इनसर्जेंसी‘; प्रोफेसर के.एल. टुटेजा कृत ’रीलिजन कम्यूनिटी एण्ड नेशन’; डॉ. मनीषा चौधरी कृत ’द हिस्ट्री ऑफ थार डेज़र्ट‘ तथा डॉ. प्रियंबदा सरकार कृत ’लैंग्वेज, लिमिटस एण्ड बियाँड’ नामक 8 पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया।
पूर्व अध्येता प्रो. हितेंद्र पटेल, प्रो. एस. के. चहल, प्रो. एम.पी सिंह, डॉ. मनीषा चौधरी ने भी इस समारोह में ऑनलाइन शिरकत की और हिन्दी भाषा तथा लोकार्पित हुई अपनी पुस्तकों के बारे में अपने विचार रखे।
संस्थान की आवासी चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनू अग्रवाल ने उपस्थित सभासदों तथा सभी पुरस्कार प्राप्त करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन हिन्दी अनुवादक राजेश कुमार ने किया तथा समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।