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महिला उद्यमिता की ‘गरिमा’ बन 24 वर्षीय ईशा ने बढ़ाया जिला ऊना का मान

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ऊना, फरवरी 07- जिला ऊना में महिला उद्यमिता के साथ-साथ बेटियों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करने की सोच रखने वालों को बढ़ावा देने के लिए जिला प्रशासन की गरिमा योजना के तहत 24 वर्षीय ईशा चौधरी को सम्मानित किया गया है। डॉ. वाईएस परमार वानिकी विश्वविद्यालय से स्नातक ईशा ने होम बेकिंग के माध्यम से स्वरोजगार को अपनाया है। माता-पिता के सहयोग व 50 हजार रुपए की धनराशि का निवेश कर उन्होंने केक, ब्राउनी, कप केक, पेस्ट्रीज़, कुकीज व होम मेड चॉकलेट बनाने का व्यवसाय शुरू किया। एक वर्ष के छोटे से अंतराल में ही उनका व्यवसाय फलने-फूलने लगा है और वह जिला ऊना ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लिए महिला उद्यमिता की मिसाल बनकर उभरी हैं। उनके केक की डिलीवरी के लिए ग्राहक को अपना ऑर्डर 3-10 दिन पहले तक देना पड़ता है।

ऊना में वन विभाग की कॉलोनी में रहने वाली ईशा चौधरी ने बताया “एक जनवरी 2020 को होम बेकिंग के व्यवसाय की शुरुआत की और शुरुआती एक महीने में ही अच्छा रुझान मिला। विदेशों में या बड़े शहरों में होम बेकिंग का अच्छा काम होता है लेकिन ऊना में इस तरह का यह पहला प्रयास रहा, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया। जिला प्रशासन ऊना की ओर से गरिमा सम्मान मिलने के बाद काम करने का हौसला बढ़ा गया। ”

द डेनटी डोज़ (The Dainty Doughs) ब्रांड नाम से होम बेकिंग की दुनिया में कदम बढ़ा रही ईशा इंस्टाग्राम व वॉट्स ऐप नंबर 9418521971 के माध्यम से ही ऑर्डर प्राप्त करती हैं, घर पर ही अपने प्रोडक्टस तैयार करती हैं और लोग घर से अपना सामान आकर ले जाते हैं। सैंसोवाल स्कूल में मुख्यध्यापिका मां व बेटी ईशा को कुकिंग का शौक है तथा उन्होंने होम बेकिंग के कोर्स भी किए हैं। बेकिंग में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर सामग्री ईशा चौधरी दिल्ली व चंडीगढ़ से मंगवाती हैं। अपने काम से उत्साहित ईशा जल्द ही बड़ा वर्कशॉप खोलने पर विचार कर रही हैं।

वन विभाग में अधीक्षक के पद पर तैनात ईशा के पिता वीरेंद्र सिंह कहते हैं “आज बेटियां किसी से कम नहीं हैं। बेटी ईशा की मेहनत रंग ला रही है और वह पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गई है। पूरे परिवार को उसकी मेहनत पर गर्व है।”

क्या है गरिमा योजना

गरिमा योजना जिला प्रशासन ऊना की एक सकारात्मक पहल है, जिसकी मूल भावना बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत बेटियों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण को केंद्र बिंदु बनाना है। आर्थिक रूप से सशक्त और अपने पैरों पर खड़ी बेटियां ही बेटियों को बचाकर और उन्हें पढ़ाकर उनकी गरिमा को समाज में पुनः प्रतिस्थापित कर सकती हैं।

इस संबंध में उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि गरिमा के अंतर्गत बेटी के आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयोगों को समाज के समक्ष रखने की पहल की जाएगी और आर्थिक रूप से सशक्त बेटी को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का केंद्र बनाया जाएगा। इस योजना के तहत अपने माता-पिता की देखभाल करने वाली बेटियों के साथ-साथ बेटियों को गोद लेने वाले माता-पिता, बेटी की उच्च शिक्षा व प्रोफेशनल कार्स कराने वालों व इसके लिए ऋण लेने वाले परिवारों तथा बेटियों के आर्थिक सशक्तिकरण में काम करने वाली संस्थाओं को भी सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का उद्देश्य ऐसी ही प्रगतिशील व सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करना है

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