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जिंदगी बचाने में संजीवनी का काम करती 108-एम्बुलेंस

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 11 सालों में बचाई 1.40 लाख लोगों की जान

कुल्लू, 29 दिसम्बर। हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के तहत प्रदेश में 108-नेशनल एम्बुलेंस सेवा की शुरूआत 25 दिसम्बर, 2010 को की गई थी। हिमाचल प्रदेश में 204 एम्बुलेंस के साथ 108- नेशनल एम्बुलेंस सेवा ने 11 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस अवधि में कुल 15.50 लाख आपात्कालीन मामलों को प्रतिसाद दिया है, जिनमें 34,632 पुलिस संबंधी एवं 8,647 अग्नि संबंधित मामलों का सफलतापूर्वक निवारण कर प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाई है।
जीवीके ईएमआरआई के राज्य प्रमुख मेहूल सुकुमारन बताते हैं कि प्रत्येक नागरिक को जीवन रक्षा का अधिकार प्रदान करने के व्यापक मिशन में शामिल होकर अग्रणी रहने वाली जीवीके ईएमआरआई हर 35 सेकेण्ड में एक कॉल का जवाब, हर चौथे मिनट में एक एम्बुलेंस डिस्पैच, हर चौथे मिनट में एक आपातकालीन मामला दर्ज, हर डेढ़ घण्टे में आपात में फंसी एक जिंदगी का बचाव, हर दिन 386 आपातकालीन कॉल का जवाब तथा हर 8वें घण्टे में 108 के स्टॉफ की निगरानी में नई जिंदगी का जन्म जैसी आपातकालीन सेवाओं को अंजाम देकर अनमोल जिंदगियां बचाने का कार्य कर रही हैै।
108-एम्बुलेंस सेवा गर्भवती महिलाओं तथा सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित आपातकालीन मामलों में वरदान सिद्ध हुई है। 25 दिसमबर, 2010 से अब तक 3,12,381 गर्भ संबंधी मामले 108 आपातकालीन प्रबंधन केन्द्र में दर्ज किए गए हैं। इस कार्यकाल के दौरान 108 में कार्यरत कुशल ईमरजेंसी मेडिकल टैक्निशियनों ने 12,947 से अधिक सफल प्रसव करवाएं हैं और कुल 83 हजार सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को आपातकालीन सेवाएं प्रदान की हैं तथा उन्हें तत्काल अस्पताल तक पहुंचाकर भर्ती करवाया है। स्वास्थ्य संबंधी मामलों में सैंकड़ों ऐसे लोग थे जिनमें जान बचने के कोई आसार नहीं थे, लेकिन समय पर एम्बुलेंस सेवा व सहायता के लिये समर्पित दक्ष तथा निपुण कर्मचारियों द्वारा पिछले 11 सालों में 1.40 लाख लोगों को अनमोल जीवन का तोहफा प्रदान किया है। यह कार्य समय-समय पर 108 सेवा में कार्यरत इमरजेंसी मेंिडकल टेक्निशियन की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थान जैसे स्टेण्डफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन, अमेरिका, 911-नेशनल इमरजेंसी नम्बर ऑथोरिटी तथा अमेरिकन हर्ट एसोसियेशन के सहयोग से चिकित्सीय प्रशिक्षण और कौशल विकास देने के परिणामस्वरूप हुआ है।
सुकुमारन का कहना है कि आपातकालीन प्रबंधन केन्द्र पर की गई कोई भी कॉल जान बचाने जैसी आपातकालीन कॉल के रूप में स्वीकार की जाती है। सोलन के धर्मपुर स्थित आपातकालीन प्रबंधन केन्द्र में प्रतिदिन औसतन 2,468 कॉलज दर्ज की जाती है जिनमें से 99 प्रतिशत कॉलज का तत्क्षण उत्तर दिया जाता है। ऐबुंलेंस भेजने की इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि न रह जाए यह सुनिश्चित करने के लिये प्रबंधन केन्द्र में कार्यरत आपातकालीन प्रतिक्रिया अधिकारी तथ्यों को एकत्रित करता है। अनेक कॉलज बोगस भी होती है जिनपर केन्द्र को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
प्रत्येक एम्बुलेंस एक जीपीएस यंत्र से लैस होती है, जिसके परिणामस्वरूप ईआरओ गुग्गल मैप में देखकर नजदीकी एम्बुलेंस को जल्द से जल्द घटनास्थल पर भेजता है जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित को स्वर्णावधि के भीतर अस्पताल पूर्व उचित देखभाल मुहैया करवाई जाती है जो हिमाचल में सत्त विकास उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक सिद्ध हुई है। एम्बुलेंस को घटनास्थल पर भेजने की पूरी प्रक्रिया केवल 87 सेकण्ड में ही पूर्ण कर ली जाती है।
दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस पर्वतीय प्रदेश में ऐसी सेवाएं प्रदान करना अपने-आप में बहुत बड़ी चुनौती है। यह सेवा मैदानी क्षेत्रों में औसतन 13 मिनट व 35 सेकण्ड और ग्रामीण क्षेत्रों में 38 मिनट व 49 सेकेण्ड के भीतर पहुंचकर जरूरी उपचार देकर विश्व में स्थापित गोल्डन आवर की अवधारणा को पूर्ण करने में सफल रही है। 108-आपातकालीन सेवा कोविड-19 के मुश्किल दौर में प्रदेशवासियों के लिये आशा और विश्वास की एक सच्ची साथी बनी हुई है। इस सेवा द्वारा सम्भाले गए कोविड-19 संभावित अथवा पुष्टिकृत संबंधित लगभग 45 हजार आपातकालीन मामलों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। 108-एम्बुलेंस द्वारा अब तक सबसे अधिक कोविड-19 से जुड़े मामले जिला ऊना में 9121, कांगड़ा में 6763, सोलन में 5637, मण्डी में 5044, जिला शिमला में 3947, जनजातीय जिला किन्नौर मंे 337 तथा लाहौल-स्पिति में 521 कोविड संबंधी मामलों में सेवाएं दी।

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