भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, शिमला पर पर्यावरण बचाने हेतु वृक्षारोपण सप्ताह का आयोजन
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भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केन्द्र, शिमला पर पर्यावरण को बचाने हेतु वृक्षारोपण सप्ताह दिनांक 09.08.2021 से 14.08.2021 तक मनाया जा रहा है, जिसके तहद जगह-2 पर लोगों को पर्यापरण के प्रति जागरूक करने हेतु इसका प्रचार बैनर तथा पोस्टर लगाकर तथा पौधरोपण करके किया जा रहा है ! इस पर्यावरण बचाओ अभियान के तहद दिनांक 12.08.2021 को एक पौधरोपण कार्यक्रम इस केंद्र के अमरतारा स्थित कार्यालय परिसर, ढांड़ा फार्म तथा डॉ. बी.पी. पाल शोध एवं अध्ययन केंद्र, शांकली मे आयोजित किया गया ! जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ. एस.एस. सांवत, निदेशक, हिमालयन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट(एच.एफ.आर.आई.), शिमला तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्री सुरेश मान, प्रधान, ग्राम पंचायत गिरब(ढांड़ा) आमंत्रित किये गये थे ! कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. के.के.प्रामाणिक, अध्यक्ष, भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, शिमला ने की ! कार्यक्रम का शुभारम्भ इस केंद्र के अध्यक्ष डॉ. कल्लोल कुमार प्रामाणिक ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया तथा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम से अवगत करवाया ! उसके बाद मुख्य अतिथी डॉ. एस.एस. सांवत, निदेशक, एच.एफ.आर.आई., शिमला ने पर्यावरण के संरक्षण हेतु पौध रोपण के महत्व पर अपने विचार रखे एबं शोध कार्य देखकर खुश हुआ ! विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश मान, प्रधान, ग्राम पंचायत गिरब(ढांड़ा) ने भी अपने विचार रखे ! तत्पश्चात इस केंद्र के अध्यक्ष डॉ. कल्लोल कुमार प्रमाणिक ने बताया कि आज के मौजूदा परिपेक्ष में जब कोविड़ महामारी ने विश्व को घेरा हुआ है ऐसे में हमारे लिये पर्यावरण को बचाने तथा उसे संरक्षित करने की आवश्यकता है, जिसके लिये हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने की आवश्यकता है तथा उसके साथ-2 हमें साफ सफाई पर भी ध्यान रखना है तथा उन्होंने सबसे आहवान किया कि हरेक व्यक्ति कम से कम 3-4 पौधे लगाये तथा उनका संरक्षण भी करे ! इस केंद्र के ढांड़ा फार्म के प्रभारी डॉ. अरूण कुमार शुक्ला, प्रधान वैज्ञानिक ने इस कार्यक्रम का सफल संचालन किया ! ढांड़ा फार्म पर प्रुनस प्रजाति, अनर तथा जुनिफर के पौधों का रोपण किया! इस केंद्र के डॉ. बी.पी. पाल शोध एवं अध्ययन केंद्र, शांकली शिमला मे फलदार पौधे जैसे कि काफल, बैहमी और चूली के पौधों का पौधरोपण किया गया ! कार्यक्रम के सफल संचालन एवं आयोजन के बाद कार्यक्रम के अंत में धन्यावाद ज्ञापन डॉ. संतोष वाटपाडे, वैज्ञानिक ने दिया !