लाहौल भूस्खलन का इसरो के सैटेलाइट डाटा की मदद से अध्ययन शुरू
1 min readपीरपंजाल रेंज से भारी भूस्खलन के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने इसरो के सैटेलाइट डाटा की मदद से जांच शुरू कर दी है। रविवार को केंद्रीय जल आयोग और एनडीआरएफ की टीम ने घटनास्थल पर हालात का जायजा लिया। बीते 13 अगस्त को सुबह नालडा और जसरथ गांव के बीच पीरपंजाल की पहाड़ी से भारी मात्रा में भूस्खलन होने से चंद्राभागा का बहाव करीब दो घंटे तक रुक गया था।
इससे अस्थाई झील बन गई थी। तडंग गांव के कुछ घरों समेत खेत-खलिहान जलमग्न हो गए थे। हादसे के पीछे वैज्ञानिक तथ्य खोजने के लिए केंद्रीय जल आयोग ओर एनडीआरएफ की टीम ने इसरो के सैटेलाइट डाटा की मदद से अध्ययन शुरू कर दिया है। प्रारंभिक अध्ययन में स्थिति सामान्य होने के संकेत मिले हैं। बावजूद इसके वैज्ञानिक अध्ययन जारी रखेंगे।
जिला प्रशासन और राज्य सरकार के निमंत्रण के बाद संयुक्त टीम ने रविवार को इलाके का निरीक्षण किया। टीम में केंद्रीय जल आयोग के निदेशक एनएन राय, सीडब्लूय शिमला के निदेशक पीयूष रंजन, भारतीय सेना के कर्नल अरुण, सहायक आयुक्त रोहित शर्मा और एनडीआरएफ के अधिकारी शामिल रहे।
उपायुक्त नीरज कुमार ने बताया कि प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया है कि भूस्खलन के बाद चंद्रभागा नदी में पहाड़ी से जो मलबा गिरा था, उसका करीब 50 फीसदी हिस्सा पानी के बहाव में बह चुका है। भूस्खलन वाली जगह इसरो के सैटेलाइट डाटा की मदद से अध्ययन किया जा रहा है।
फिलहाल, भूस्खलन वाली जगह 14 अगस्त की सैटेलाइट इमेज के तुलनात्मक अध्ययन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा गया है। कहा कि फिलहाल फिर भूस्खलन की कोई आशंका नहीं है।