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आईईसी यूनिवर्सिटी में क्षेत्रीय भाषाओं के उन्नयन के लिए मनाया गया ‘भारतीय भाषा उत्सव’

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अटल शिक्षा कुञ्ज स्थित आईईसी विश्वविद्यालय में महाकवि सुब्रमण्यम भारती जी के जन्म दिवस पर ‘भारतीय भाषा उत्सव’ का आयोजन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं का संवर्धन करना था। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायों के छात्रों ने बढ़-चढ़ कर सहभागिता प्रदर्शित कर क्षेत्रीय भाषाओं की जागरूकता को लेकर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

इस कार्यक्रम से पूर्व भी विगत तीन दिनों से विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों ने क्षेत्रीय भाषा को लेकर निबंध लेखन, प्रश्नोत्तरी, चित्रकारी, पोस्टर, नाटक एवं क्षेत्रीय भाषा संचेतना चित्रण द्वारा सभी को क्षेत्रीय भाषा के उत्थान, एकीकरण एवं उपयोग के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम स्थल पर ‘मेरा हस्ताक्षर मेरी पहचान’ नाम से लगा सेल्फी पॉइंट जहाँ काफी लोकप्रिय रहा वही ‘क्षेत्रीय भाषा सामूहिक हस्ताक्षर पटल’ पर कार्यक्रम में सहभागियों द्वारा अनेक भाषाओं में किये गए विविध हस्ताक्षर अनेकता में एकता के मूल मन्त्र को चरितार्थ कर रहे थे। इस अवसर पर अनेक प्रकार की क्षेत्रीय भाषाओं में लगे प्रेरक वाक्य क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को और अधिक बढ़ा रहे थे।

इस सराहनीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कालका महाविद्यालय के संस्कृत के सहायक आचार्य डॉ० प्रदीप कुमार ने भारतीय भाषाओं द्वारा राष्ट्र एकीकरण और निर्माण के विषय पर विस्तृत वक्तव्य दिया।

इस मौके पर कुलपति प्रो० (डॉ०) शमीम अहमद ने युवाओं को अपनी क्षेत्रीय भाषा के साथ ही अपनी क्षेत्रीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय भाषा हमारे संस्कृति की पहचान है और हमारे समग्र विकास के लिया बहुत आवश्यक है। क्षेत्रीय भाषा की तरक्की से हम राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक मजबूत हो सकते हैं।
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