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संस्कृति को संरक्षित रखने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका- डॉ. शांडिल

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि अपनी समृद्ध संस्कृति को संजोए रखने और परम्पराओं से जन-जन को परिचित करवाने के लिए मेले और उत्सवों के आयोजन में युवाओं को जोड़ा जाना आवश्यक है। डॉ. शांडिल गत देर सांय सोलन के कण्डाघाट उपमण्डल के साधुपुल में दो दिवसीय मेले के समापन समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
डॉ. शांडिल ने इस अवसर पर स्थानीय प्राचीन मंदिर में पूजा-अर्चना की और सभी के सुखी जीवन की कामना की।
डॉ. शांडिल ने कहा कि मेले हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक हैं। मेले में लोगों को सुख-दुःख बांटने के अतिरिक्त प्रदेश की संस्कृति को जानने का अवसर भी मिलता है। प्रदेश सरकार द्वारा मेलों के संरक्षण पर विशेष बल दिया जा रहा है ताकि भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति को आत्मसात कर सके।
उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी का यह दायित्व है कि वो अपनी धरोहर को संजोए रखे। उन्होंने कहा कि युवाओं को स्मरण रखना होगा कि अपनी परम्पराओं, संस्कृति और हस्तशिल्प को संरक्षित रख ही विकास के मार्ग पर सशक्त कदम बढ़ाए जा सकते हैं।
डॉ. शांडिल ने कहा कि ऐसे आयोजनों में कुश्ती और कबड्डी जैसे पारम्परिक खेलों का आयोजन भी किया जाता है। इन पारम्परिक खेलों के माध्यम से आज युवा विश्व में देश की प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि अपने पारम्परिक खेलों के लिए समय दें।
उन्होंने इस अवसर पर कबड्डी प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया।
उन्होंने साधुपुल मंदिर के मंच निर्माण के लिए 02 लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने दुर्गा माता मंदिर साधुपुल के सामुदायिक भवन के लिए 03 लाख रुपए देने की घोषणा की।
उन्होंने मेला समिति को अपनी ऐच्छिक निधि से 11 हजार रुपए देने की घोषणा की।

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