Himachal Tonite

Go Beyond News

बीआरओ सड़क के निजीकरण साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगाः सीटू

शिमला, 10 जून – हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पिति घाटी के काजा से लेकर लोसर तक बीआरओ के अंतर्गत बनने वाली सड़क के निजीकरण की साजिश चल रही है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह चेतावनी सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने शनिवार को यहां जारी संयुक्त बयान में दी।

दीपक प्रोजेक्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का तीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सीमा सड़क संगठन बीआरओ के निदेशक एल जी वानखेड़े से मुख्य कार्यालय शिमला में मिला व उन्हें बीस सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। निदेशक ने यूनियन को आश्वासन दिया है कि उसकी मांगों को जल्द ही पूर्ण कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मांगों के समाधान के लिए शिमला जिला के ज्यूरी स्थित कार्यालय में सीओ की अध्यक्षता में तुरन्त बैठक का आयोजन कर इन मांगों का समाधान करने की पहलकदमी होगी। यूनियन ने चेताया है कि अगर बीआरओ मजदूरों की मांगें जल्द पूरी न हुईं तो यूनियन आंदोलन का रास्ता अपनाएगी। प्रतिनिधिमंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, कुलदीप डोगरा, रणजीत ठाकुर, मदन नेगी, यूनियन अध्यक्ष प्रेम लाल, काज़ा डेट से प्रीतम सिंह, रवि, ताबो डेट से दोरजे तंडुप, छेरिंग, शलखर डेट अध्यक्ष लोबजंग जम्बल, रामपाल, टाशि सोनम, दोरजे छोकडुप, राजेश नाग, रणजीत डोगरा, सतीश, अजय, बलजीत सिंह, ज्ञान सिंह, समदो डेट अध्यक्ष सोनम छोडन, कौरिक अध्यक्ष रप्तन दोरजे, छवांग तोपगे, केसांग छोडन, मदन लाल, पूनम, माने डेट से ज्ञाछो, काह डेट अध्यक्ष भूप सिंह, जाखिर सेन, शेर सिंह, विद्या नेगी, नारू सुंडी, मलिंग डेट से चतर सिंह, बबलू, केसंग, दावा आदि शामिल रहे।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, यूनियन अध्यक्ष प्रेम लाल ने कहा है कि स्पिति घाटी के काज़ा से लेकर लोसर तक बीआरओ के अंतर्गत बनने वाली सड़क के निजीकरण की साज़िश चल रही है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कार्य को निजी कम्पनी के हवाले किया गया है जिस से सैकड़ों मजदूरों की नौकरी खतरे में पड़ गयी है। यह कदम मजदूर विरोधी है। उन्होंन चेताया है कि अगर एक भी मजदूर का रोज़गार गया तो मजदूर अपने रोज़गार की सुरक्षा के लिए हड़ताल पर उतर आएंगे। उन्होंने कहा कि देश के श्रम कानूनों का बीआरओ में कोई पालन नहीं हो रहा है। यहां पर लगातार कानूनों का उल्लंघन हो रहा है। मजदूरों को ईपीएफ, छुट्टियों, मेडिकल सुविधा, ग्रेच्युटी, छंटनी भत्ता, नोटिस पे सुविधा नहीं दी जा रही है। बोनस भी नियमानुसार नहीं मिल रहा है। उन्हें नियमानुसार साप्ताहिक अवकाश के अलावा 39 छुट्टियां दी जाएं। मजदूरों को आवास सुविधा नहीं है। जहां आवास सुविधा दी गयी है उसकी स्थिति दयनीय है। मजदूरों को कई जगह बिजली, शौचालय, स्नानागार व पानी की सुविधा तक मुहैय्या नहीं है। मजदूरों को डयूटी पर जाने व दुर्गम पहाड़ी इलाकों में उनके बच्चों को स्कूल आने जाने के लिए गाड़ियों की उचित सुविधा नहीं है। विभाग के कल्याण फंड से इन दुर्गम क्षेत्रों में कार्य करने वाले हजारों मजदूरों को न तो मुफ्त राशन दिया जा रहा है और न ही उन्हें राशन कार्ड के ज़रिए राशन व्यवस्था की जा रही है। भारी बर्फबारी वाले इन इलाकों में मजदूरों को मिट्टी के तेल व लकड़ियों की सुविधा भी नहीं दी जा रही है। मजदूरों को सर्दी से बचने के लिए जूते, जैकेट व दस्ताने भी नहीं दिए जा रहे हैं। मजदूरों को समय से वेतन नहीं मिल रहा है। दूरदराज स्थित बैंकों तक पहुंचने के लिए छुट्टी नहीं दी जा रही है। उन्हें ट्रेड के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा है। उन्हें झाड़ू, गैंती, फावड़ा, करण्डी व अन्य काम करने के औजार खुद के पैसे से खरीदने पड़ रहे हैं। उन्हें गाड़ियों के अभाव में आठ बजे के बजाए सुबह छः बजे ही डयूटी पर जाना पड़ रहा है। वर्ष 2019 के बाद कई मजदूरों की बिना कारण या तो छंटनी की गई है या फिर उन्हें डिस्चार्ज किया गया है। मजदूरों के श्रमिक कल्याण बोर्ड के तहत मिलने वाले वज़ीफ़े, शादी, मृत्यु, मेडिकल व पेंशन आदि लाभ रोक दिए गए हैं। इन्हें तुरन्त बहाल किया जाए। मजदूरों के बढ़े हुए वेतन की बकाया राशि अथवा एरियर का तुरन्त भुगतान किया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *