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सरकार व दवा कम्पनियों की सांठगांठ ने जनता को बीमार बनाया: वैद्य राजेश कपूर 

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शिमला। विख्यात वैद्य एवं वरिष्ठ शोधकर्ता  राजेश कपूर ने कहा है कि स्वतंत्रता के बाद की सरकारों ने बड़ी दवा कंपनियों की मिलीभगत से देश की जनता को बीमार बनाने का खतरनाक षड्यंत्र रचा। इसका परिणाम है कि भोले-भाले लोग कैंसर के साथ लिवर एवं किडनी आदि के  गंभीर रोगों की चपेट में आते चले गए। हमें हर कीमत पर परंपरागत जीवनशैली अपनानी होगी।

वह मानवाधिकार जागरूकता पर उमंग फाउंडेशन के 40 वें साप्ताहिक वेबिनार में “पारंपरिक जीवन शैली से स्वास्थ्य रक्षा का अधिकार” विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम के संयोजक विनोद योगाचार्य ने बताया कि वेबिनार में बड़ी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया और विशेषज्ञ वक्ता से प्रश्न पूछे। वैद्य राजेश कपूर कई पुस्तकों के लेखक हैं और उन्होंने गाय एवं ऊर्जा पर अनेक शोध और अविष्कार भी किए हैं।

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने वैद्य राजेश कपूर से कहा कि वे अपने मिशन में  छात्राओं और महिलाओं पर अधिक फोकस करें तो समाज में तेजी से बदलाव आ सकता है।

वैद्य राजेश कपूर ने कहा कि मनुष्य जीवन के लिए अनिवार्य चीजों जैसे पेय जल, नमक, चीनी, खाद्य तेल आदि के माध्यम से हमें आजादी के बाद से बीमार बनाने के प्रयास किए गए। सरकारी व्यवस्था में जल को शुद्ध करने के लिए उसमें क्लोरीन मिलाई जाती है जो दिल की बीमारियों और कैंसर का एक बड़ा कारण है। इसके अलावा क्लोरीन मनुष्य को समय से पूर्व बूढ़ा बनाने का काम करती है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक उच्च स्तरीय शोध हुए हैं।

उन्होंने नमक में आयोडीन मिलाकर बेचने को भी मानव जीवन के लिए अत्यंत खतरनाक बताया। उनका कहना है कि प्राकृतिक तौर पर चट्टानों से प्राप्त सेंधा नमक में 80 प्रकार के उपयोगी साल्ट होते हैं। लेकिन कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले नमक को 1200 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म करने से यह सभी साल्ट नष्ट हो जाते हैं और एक तत्व सोडियम क्लोराइड बचता है। इस में आयोडीन मिलाने से यह हमारे शरीर के लिए और भी खतरनाक हो जाता है। जबकि सेंधा नमक में आयोडीन प्राकृतिक तौर पर होता है। यही नमक सर्वोत्तम है।

वैद्य राजेश कपूर ने बताया कि बाजार में मिलने वाली चीनी शरीर के लिए अत्यंत घातक है। इसे बनाने में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थ इसमें मिलाए जाते हैं। इसका विकल्प देसी ढंग से बनाया गया गुड़ या बाज़ार में एक कंपनी की मधुरिमा नामक चीनी हो सकती है।

इसी प्रकार बाजार में मिलने वाले खाद्य तेलों को भी उन्होंने मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक बताया। उन्होंने कहा कि तेलों को गंध रहित बनाने के लिए अत्यंत उच्च तापमान पर उबाला जाता है जिससे वह एसिड में तब्दील हो जाता है। सरसों के तेल भी मिलावटी होते हैं जिनमें तीखापन लाने के लिए कृत्रिम सामग्री डाली जाती है।

उन्होंने पैकेट बंद फूड, बाज़ार में मिलरहे साबुन, शैम्पू एवं सौंदर्य प्रसाधनों को भी स्वास्थ्य के लिए घातक बताया। उनका कहना था की भोले भाले भारतीयों को बीमार बनाने का बड़ा षड्यंत्र पिछले 75 सालों से चल रहा है जिसमें मंत्री, अफसर और बड़ी कंपनियां शामिल हैं। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे इस दिशा में सोचेन और षडयंत्र पूर्वक बीमार बनाने वाले सामान के विकल्पों पर नजर डालें।

वेबिनार के संचालन में कुलदीप कुमार, मीनाक्षी शबाब, उदय वर्मा देवेंद्र कुमार और संजीव शर्मा ने सहयोग दिया।

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