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शिमला समर फेस्टिवल में एपीजी के छात्रों ने बिखेरा जलवा

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शिमला, जून 6

अंतराष्ट्रीय शिमला समर फेस्टिवल के दूसरे दिन सोमवार को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा फ़ैशन शो की धूम रही। इसी कड़ी में सांय छ: बज़े फ़ैशन शो में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फ़ैशन डिजाइनिंग विभाग में फ़ैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर रहे हिमाचल प्रदेश के छात्रों सहित भारत के उत्तर-पूर्व के पंद्रह छात्राओं के अलावा बांग्लादेश के छात्रों और फ़ैशन डिजाइनिंग की  फैकल्टी प्रतिभागियों ने हिमाचली वेशभूषा के जलवे बिखेरे।   हिमाचल के सभी जिलों  की पारंपरिक वेशभूषा में इन प्रतिभागियों ने फ़ैशन शो में चार-चाँद लगा दिए। हालांकि हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और वेशभूषा विश्वभर में अलग-सी पहचान है जो हिमाचल के जनमानस के रहन-सहन, सुन्दरता, प्राकृतिक सौंदर्य, स्वच्छता, देव-संस्कृति, वीर-भूमि व देव-भूमि, भोलापन, मेहनतकश पहाड़ी लोगों और प्राचीन हिमालयी लोगों की संस्कृति को प्रतिबंधित करती है। इस फ़ैशन शो का मुख्य सार हिमाचली वेशभूषा- हिमाचली वस्त्र हमेशा और हिमाचली मिश्रित पोशाकों  का फ़ैशन फेस्टों में अपना महत्त्व रहा। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के इन छात्राओं ने स्वयं इन पोशाकों का डिज़ाइन व सिलाई-कढ़ाई की है और इन्हें पहनकर हिमाचली पारंपरिक वस्त्रों को फ़ैशन शो में  प्रस्तुत किया। यह दूसरी बार है कि एपीजी के छात्राओं को शिमला समर फेस्टिवल में अपनी प्रतिभा दिखाने और हिमाचल की अनूठी परपंरागत वेशभूषा को दुनिया भर के लोगों को दिखाने का अवसर मिला। इन हिमाचली वस्त्रों में देख दर्शकों ने छात्रों द्वारा वस्त्र कला- निर्माण व डिजाइनिंग और प्रस्तुति की जमकर प्रशंसा की। इन प्रतिभागियों में दीक्षा, इशिका, तनुजा, अम्बिका, क्रत्वी, काज़ल, पूजा, रिया, ऐश्वर्या, आशी, मोनीता, फ़ैशन डिजाइनिंग में सहायकआचार्य सुनील चौहान, सहायक आचार्य मधुबाला और विभागाध्यक्ष आचार्य कल्पना वर्मा ने हिमाचली संस्कृति व पहनावे का जीवंत रखने और इसे अपनाने का संदेश दिया।

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