‘लाजबाव लाहौल मुहिम’ के अंतर्गत घाटी के पारंपरिक उत्पादों को पर्यटकों द्वारा किया जा रहा पसन्द
1 min read- स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों के स्टाल के माध्यम से पर्यटकों को उपलब्ध हो रहे लाहौल के पारंपरिक उत्पाद।
- सरकार हर प्रकार से इस मुहिम की सफलता के लिए देगी सहयोग- डॉ मारकंडा।
केलांग 2 जनवरी – विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी मनाली और कुल्लू में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लगाए जा रहे स्थानीय उत्पादों के स्टालों के माध्यम से लाहौल के स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों को पर्यटकों को उपलब्ध करवाया जा रहा है।
स्थानीय लोगों व पर्यटकों द्वारा जहां इन उत्पादों को खासा पसन्द किया जा रहा है वहीं इससे स्वयं सहायता समूहों की आर्थिकी भी सुदृढ़ हो रही है।
मनाली में आज से आरम्भ हुए विंटर कार्निवाल में ‘हिम इरा शॉप’ द्वारा लाहली व्यंजनों का स्टाल के अलावा व्हाइट स्टोन रिसोर्ट प्रीणी, शोभला होटल कुल्लु में भी पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों के स्टाल लगाए जा रहे हैं। इन प्रदर्शनी एवं बिक्री स्टॉल पर स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटक भी पहुंच रहे हैं तथा उत्पादों की खरीदारी कर रहे हैं।
जनजातीय विकास व तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा ने कहा कि गत वर्ष हमने लाहौल घाटी की पर्यटन संभावनाओं का आधार तैयार करने का कार्य किया था। अब हमारा प्रयास यहां के पारम्परिक उत्पादों को पर्यटन के साथ जोड़कर विश्वस्तरीय पहचान दिलाना है। इसके लिये यहाँ के स्वयंसहायता समूहों का प्रयास सराहनीय है तथा प्रदेश सरकार भी इसके लिए हर प्रकार से प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने कहा कि यह जो मुहिम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत ‘लाजवाब लाहौल’ के बैनर तले शुरू की गई है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं तथा इससे स्वयं सहायता समूहों का मनोबल और उत्साह भी बढ़ा है।
उपायुक्त नीरज कुमार ने कहा कि लाहौल- स्पीति जिला प्रशासन लाहौल के बेजोड़ पारंपरिक हस्तशिल्प उत्पादों और यहां पीढ़ियों से जन जीवन का अभिन्न हिस्सा रहने वाले व्यंजनों को विभिन्न मंचों के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों तक पहुंचाने में इन स्वयं सहायता समूहों की पूरी मदद और मार्गदर्शन करेगा।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कुल्लू और लाहौल -स्पीति के परियोजना निदेशक एवं जिला मिशन प्रबंधक नियोन धैर्य शर्मा ने कहा कि इन गतिविधियों को सुनिश्चित कार्य योजना के तहत चलाया जा रहा है ताकि इसमें निरंतरता बनी रहे और स्वयं सहायता समूहों की आर्थिकी भी सुदृढ हो।