किसानों की सफलता की कहानियों के दस्तावेजीकरण की आवश्यकता- रुपाला
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कृषि उद्यमी कृषक विकास चैंबर एवं डॉ यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी और सिक्किम राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड द्वारा आज प्रोग्रेसिव लीडरशिप समिट-2021 का आयोजन विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला मुख्य अतिथि रहे।
इस मौके पर मुख्य अतिथि पुरुषोत्तम रुपाला ने प्राकृतिक खेती की पहल के लिए हिमाचल सरकार की प्रशंसा की और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सिक्किम के प्रयासों को भी सराहा। उन्होंने कहा कि भारत उन देशों को प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के निर्यात में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है जहां ऐसे उत्पादों की लगातार मांग बढ़ रही है। केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया कि नवीन कृषि-नवाचारों के साथ-साथ किसानों की सफलता की कहानियों के दस्तावेजीकरण किया जाए ताकि भविष्य की नीति तैयार करने के लिए उन्हें सरकार के साथ साझा किया जा सके। रूपाला ने स्वदेशी पशुधन को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और पशुधन टीकाकरण और उनकी समस्याओं के त्वरित निवारण के लिए मोबाइल वैन की बात कही।
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभा को बताया कि राज्य में 1.53 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। कंवर ने खेती की लागत को कम करने की आवश्यकता पर भी बल दिया और इसके लिए एक समाधान के रूप में प्राकृतिक खेती का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार केसर और हींग की खेती, फ्रेश वॉटर मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही है। साथ ही हिमाचल को दालचीनी की खेती में आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रयत्न किए जा रहे हैं। कंवर ने कहा कि राज्य छोटे और सीमांत किसान उद्यमियों को मजबूत करने और बढ़ावा देने का भी प्रयास कर रहा है। उन्होंने विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही पहाड़ी किसानों के लिए नीतियां बनाने का आह्वान किया।
अपने संबोधन में हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने उनकी सरकार की फसल बीमा और मुआवजा योजना के बारे में बात की। उन्होंने सभा को बताया कि राज्य में पानी के सदुपयोग के लिए अलग से तालाब प्राधिकरण की स्थापना की गई है। उन्होंने पशुधन प्रबंधन और बागवानी के माध्यम से फसल विविधीकरण और हरियाणा में झींगे की खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मंडी व्यवस्था को मजबूत किया गया है। इस सत्र के दौरान किसान नेता और हरियाणा के पूर्व कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने भी कृषि के बढ़ावा के लिए कई सुझाव दिये।
इस कार्यक्रम के दौरान पेरी-अर्बन एग्रीकल्चर पर एक सत्र आयोजित किया गया था, जिसमें नौणी विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल; हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति डॉ बीआर कम्बोज; शेर ए कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइन्स एंड टेक्नोलॉजी जम्मू के वीसी डॉ जेपी शर्मा सहित कृषि-उद्योग के प्रतिनिधियों और नीति निर्माताओं ने पेरी-अर्बन कृषि के भविष्य पर चर्चा की। विशेषज्ञों का मानना रहा कि किचन और टैरेस गार्डनिंग में हाइड्रोपोनिक्स के साथ-साथ कट-फ्लावर, फलों और सब्जियों के उत्पादन में आय सृजन की काफी संभावनाएं हैं। सत्र में छोटे शहरों में लर्निंग सेंटर बनाने का भी सुझाव दिया गया। दूसरे तकनीकी सत्र में किसानों और एफपीओ ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। कार्यक्रम के दौरान भैंसों की पशु प्रदर्शनी और विभिन्न विभागों द्वारा लगाई प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही।
विभिन्न श्रेणियों के तहत शिखर सम्मेलन में कुल 42 पुरस्कार वितरित किए गए जिसमें राज्य, शैक्षिक संगठन, कॉर्पोरेट: कृषि और संबद्ध क्षेत्र, प्रगतिशील किसान / गांव, किसान उत्पादक संगठन, कृषि पत्रकारिता पुरस्कार (जागरूकता और समाधान-उन्मुख), सरकारी संगठन / पीएसयू, एकेडमी में उत्कृष्टता और कृषि भविष्य रत्न पुरस्कार शामिल थे।