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नित नई बुलंदियों को छू रहा है जिला हमीरपुर

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एक सितंबर 1972 को हिमाचल प्रदेश के एक अलग जिले के रूप में अस्तित्व में आया हमीरपुर बेशक क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे छोटा जिला है, लेकिन गत 49 वर्षांे के सफर के दौरान इस जिले ने विकास के कई ऊंचे मुकाम हासिल किए हैं। सडक़, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के कई अन्य मानकों में हमीरपुर देश के अग्रणी जिलों में शुमार है।

सैनिक बहुल्य क्षेत्र होने के कारण इसे वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां के अनेकों वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दी है। आजादी के बाद विभिन्न युद्धों और सैन्य ऑपरेशनों में भी हमीरपुर के वीरों ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। वीरभूमि हमीरपुर में कुल 29 हजार 123 भूतपूर्व सैनिक और वीर नारियां हैं। जिले के लगभग हर घर से कोई न कोई सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है या दे चुका है। जिला के वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए अपनी वीरता का परिचय दिया है। जिला के 166 वीर योद्धाओं को विभिन्न सैन्य वीरता पुरस्कारों से नवाजा गया है। सभी जिलावासियों को अपने इन वीर सपूतों पर गर्व है।

सशस्त्र सेनाओं के साथ-साथ हमीरपुर जिला ने शिक्षा के क्षेत्र में अहम मुकाम हासिल किया है। अब यह जिला शिक्षा के हब के रूप में भी विकसित हो चुका है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तकनीकी विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज, होटल प्रबंधन संस्थान, बहुतकनीकी कालेज, उद्यानिकी एवं वानिकी कालेज और सैनिक स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान इस जिले में स्थापित किए गए हैं। इनके अलावा निजी विश्वविद्यालय व अन्य संस्थान भी शिक्षा की अलख जगा रहे हैं।

सडक़ों के घनत्व की दृष्टि से भी हमीरपुर जिला की गिनती देश के अग्रणी जिलों में की जाती है। जिला का लगभग हर गांव पक्की सडक़ से जुड़ चुका है। खेलों में भी जिला हमीरपुर के कई खिलाडिय़ों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। हमीरपुर की धरती ने देश को ओलंपिक पदक विजेता विजय कुमार, कॉमनवेल्थ पदक विजेता विकास कुमार और कई अन्य खिलाड़ी दिए हैं।

इस प्रकार 49 वर्षों के इतिहास में जिला हमीरपुर के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं तथा यह जिला प्रगति के पथ पर नित नई बुलंदियों को छू रहा है।

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