अनुमति न मिलने के कारण गोबिंदसागर झील में उतरने वाले शिकारे फाइलों में खा रहे गोते

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साहसिक जल क्रीड़ाओं के लिए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की अनुमति न मिलने के कारण गोबिंदसागर झील में उतरने वाले शिकारे फाइलों में ही तैर हो कर रह गए हैं। कश्मीर की डल झील की तर्ज पर पर्यटन विभाग ने सालों पहले बिलासुपर की गोबिंदसागर झील में शिकारे चलाने की योजना का प्लान बनाया था और विभाग ने पूरी तैयारी भी कर ली थी, लेकिन बीबीएमसी इसके लिए अनुमति नहीं दे रहा है।
ऊना जिले के अंदरौली में गोबिंदसागर झील में तो भाखड़ा ब्यास प्रबंधन ने एक किलोमीटर तक जलक्रीड़ाओं की अनुमति दी है, लेकिन बिलासपुर में शिकारे चलाने को मंजूरी नहीं दी जा रही है। करीब 28 साल से एनओसी का इंतजार किया जा रहा है।
सुरक्षा की दृष्टि से भी देखा जाए तो अंदरौली की भाखड़ा बांध से दूरी मात्र दस किलोमीटर है, जबकि बिलासपुर की भाखड़ा बांध से दूरी 65 किमी है। बिलासुपर वाटर स्पोर्ट्स और पैराग्लाइडिंग साइट करीब 25 साल पहले की है, लेकिन बीबीएमबी ने किसी भी गतिविधि के लिए साइट विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग को सहयोग नहीं किया है।
हाल ही में केंद्रीय खेल, युवा सेवाएं एवं सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बिलासपुर को एडवेंचर स्पोर्ट्स हब बनाने की बात कही थी पर फिर भी मौजूदा हालात उनकी कथनी के विपरीत नज़र आ रहे है।
गोबिंदसागर झील में एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स के लिए विभाग ने योजना बनाई है। इसमें जैटी स्कूटर से लेकर जल से संबंधित हर क्रीड़ा शामिल होगी। विशेष यह होगा कि कश्मीर की डल झील की तर्ज पर शिकारे और बोट चलाए जाएंगे। बीबीएमबी की एनओसी न मिलने से यह प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतर रहा है। विभाग ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है, सिर्फ एनओसी का इंतजार है।
पर्यटन विभाग की गोबिंदसागर झील में शिकारे और बोट चलाने की योजना से बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने के साथ गुमनामी के अंधेरे में खो रहे पर्यटन स्थलों को भी पहचान मिलनी थी।