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प्रदेश सरकार की अनदेखी की वजह से छात्रों को नहीं मिल पा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

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शिमला – हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय में नियमित अध्यापकों की नियुक्ति न होना तथा छात्रों से भारी भरकम फीस ली जाने की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कड़ी निन्दा करती है।

प्रांत मंत्री विशाल वर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय में पिछले 3 वर्षों से आठ पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं व विश्वविद्यालय के अंदर 430 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। परंतु दुर्भाग्य की बात है की विश्वविद्यालय के अंदर एक भी स्थाई शिक्षक की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। वहीं अपने आप को मंत्रिमंडल में सबसे अधिक पढ़ा-लिखा कहने वाले तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा तकनीकी विश्वविद्यालय की इस माली हालत पर खामोश है। विद्यार्थी परिषद लगातार तीन वर्षों से तकनीकी विश्वविद्यालय की मांगों को लेकर जिला हमीरपुर सहित पूरे प्रदेश भर में आंदोलनरत है। बावजूद इसके भी तकनीकी विश्वविद्यालय के अंदर एक भी स्थाई शिक्षक की नियुक्ति करने में सरकार नाकामयाब रही है। वहीं तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में वर्तमान कुलपति को 1 वर्ष का सेवा विस्तार पुनः प्रदेश सरकार के द्वारा दिया गया है, लेकिन विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है और विद्यार्थियों का भविष्य गेस्ट फैक्ल्टी के हाथों में दे कर सरकार अपनी जिम्मेवारियों से भाग रही है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों व गैर शिक्षकों के लगभग 83 पद खाली हैं जिस बाबत विद्यार्थी परिषद का प्रतिनिधिमंडल पहले भी मंत्री से मिल चुका है। लेकिन मंत्री और प्रदेश सरकार के ऐसे उदासीन रवैये से तकनीकी विश्वविद्यालय में पढ़ने वाला विद्यार्थी आज भी स्थाई शिक्षकों की बाट जोह रहा है। प्रदेश सरकार यूँ तो विकास के बड़े बड़े दावे करती है परंतु तकनीकी विश्वविद्यालय में पिछले 3 वर्षों के अंदर एक भी स्थाई शिक्षक की नियुक्ति ना कर पाना प्रदेश सरकार के विकास के मॉडल की विफलता का स्पष्ट उदाहरण है। 3 वर्षों से तकनीकी विश्वविद्यालय के अंदर एक भी स्थाई अध्यापक की नियुक्ति प्रदेश सरकार नहीं कर पाई है और यह दर्शाता है कि छात्रों के भविष्य के प्रति प्रदेश सरकार की भूमिका क्या है और वह किस गैर जिम्मेदाराना तरीके से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खेलने का काम कर रही है। वहीं तकनीकी विश्वविद्यालय के अंदर अगर फीस की बात की जाए तो वह फीस प्राइवेट विश्वविद्यालय से कहीं अधिक है। तकनीकी विश्वविद्यालय लगातार छात्रों को लूटने का काम कर रहा है। क्योंकि प्रदेश सरकार के द्वारा 2011 से एक रुपए भी तकनीकी विश्वविद्यालय को अनुदान में नहीं दिया गया था जो कि इस विश्वविद्यालय के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा। जबकि वर्तमान सरकार ने पिछले वर्ष से विश्वविद्यालय को 10 करोड़ आवर्ती अनुदान देने की घोषणा की थी लेकिन इस वर्ष उस 10 करोड़ में से 1 रुपया भी विश्वविद्यालय को नहीं दिया गया। यह विश्वविद्यालय निजी विश्वविद्यालयों की तरह छात्रों एवं अभिभावकों के पैसे से ही चलाया जा रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रांत मंत्री विशाल वर्मा ने कहा कि विद्यार्थी परिषद किसी भी सूरत में इस तरीके से शिक्षा का बाजारीकरण सहन नहीं करेगी। विद्यार्थी परिषद सरकार से मांग करती है कि आने वाले समय के अंदर जल्द से जल्द तकनीकी विश्वविद्यालय के अंदर रिक्त पड़े सभी अध्यापकों के पदों को सृजित किया जाए व नए सत्र से पूर्व तकनीकी विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की जाए अन्यथा विद्यार्थी परिषद इस दौर में भी आंदोलन करने से गुरेज नहीं करेगी। विश्वविद्यालय के अंदर चल रही ठेकदारी प्रथा का भी विद्यार्थी परिषद कड़े शब्दों में विरोध करती है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को लगातार आउटसोर्स के माध्यम से भर्ती किया जा रहा है विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि सभी गैर शिक्षक कर्मचारियों की नियमित भर्ती की जाए जिससे कि विश्वविद्यालय आने वाले समय में अपनी विशिष्ट पहचान बना पाए। विद्यार्थी परिषद हमेशा से ही छात्र हितों को सरकार के सामने उठाती रही है और अगर तकनीकी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए बड़ा आंदोलन भी करना पड़ा तो विद्यार्थी परिषद इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने का काम करेगी और प्रदेश सरकार के इस गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए उनका हर स्तर पर विरोध भी करेगी।

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